स्मिता पाटिल पर यह लेख दिग्गज साहित्यकार शरद जोशी ने 1986 में नवभारत टाइम्स के लिए लिखा था। उन्होंने लिखा कि 'स्मिता अभिनय में अपनी उम्र से बड़ी हो जाती थी। वह केवल गहरे अहसास की मदद से अपनी अनुभव-सीमा को लांघ जाती थी। इस मामले में वह अपनी समकालीन भारतीय अभिनेत्रियों से बड़ी थी'। आगे वह लिखते हैं, 'मुंबई के भ्रष्ट फिल्मी व्यवसाय में, जहां अभिनेत्री के उभरे स्तन और उभरे कूल्हे ही उसका सबसे बड़ा गुण हों, स्मिता इस भ्रष्ट मानसिकता के विरुद्ध एक चुनौती थी। आप स्मिता पर गर्व कर सकते हैं'। स्मिता पाटिल के लिए क्या लिखते हैं शरद जोशी, पढ़िए
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