Sunday, March 25, 2018

'दलितों के बीच उपजते प्रतिरोध की मुखर अभिव्यक्ति है लोकगाथा सलहेस'

हसन इमाम 
वरिष्ठ रंगकर्मी व लोकगाथा विशेषज्ञ

जब हम राजा सलहेस की लोकगाथा को सामाजिक दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करते हैं, तब पाते हैं कि उसमें संबंधित समाज की वास्तविकताओं और उनकी अपेक्षाओं की गाथाएं वास्तव में शोषक और शोषित समाज के बीच की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक टकराहटों की गाथाएं हैं। इसमें सामाजिक प्रतिष्ठा, मान-सम्मान एवं गरिमा के लिए संघर्ष की गाथाएं भी मौजूद हैं।

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