दिल्ली के ओखला स्थित
एनएसआईसी ग्राउंड में आयोजित इंडिया आर्ट फेयर एक फरवरी की शाम पांचतारा होटल ली
मिरिडियन में एक भव्य डिनर पार्टी के साथ खत्म हो गया, जहां कॉन्टीनेंटल मेन्यू और
हार्ड- सॉफ्ट ड्रिंक्स का लोग जमकर लुत्फ उठाते देखे गये। आयोजकों की पार्टी हिट थी। आयोजक, गैलरी के मालिक, कलाकार और
कलाप्रेमी इंडिया आर्ट फेयर के एक और सफल आयोजन का जश्न मनाते दिखे।
लेकिन क्या इंडिया आर्ट
फेयर का सातवां एडिशन विदेशी गैलरियों के लिए भी जश्न का मौका था? सवाल यह है कि आर्ट फेयर विदेशी गैलरियों की उम्मीदों पर
इस बार कितना खरा उतरा क्योंकि फेयर के आखिरी दिन कई विदेशी गैलरियों ने सातवें
एडिशन की सफलता पर शंका जाहिर की और आयोजन के स्तर पर सवाल उठाये। बातचीत के दौरान
उनके चेहरों पर तनाव और निराशा साफ देखी जा सकती थी।
आर्ट
फेयर में लगातार पांचवी बार शिरकत रही पेरिस की एक गैलरी के मालिक बुद्आं लेबां ने
अपनी बात खुलकर सामने रखी। लेबां ने कहा कि भारत में उनके लिए बड़ा बाजार नहीं है
क्योंकि देशी कलेक्टर्स विदेशी कलाकृतियां नहीं खरीदना चाहते हैं। क्यों, इस सवाल
का जवाब भी चौंकाने वाला था। बकौल बुदआं लेबां, “वो भारतीय कलेक्टर्स और
खरीदारों को नहीं जानते और आयोजनों ने इस तरह का कोई तंत्र विकसित नहीं किया है
जिससे उन्हें विदेशी कलाकारों और उनकी कलाकृतियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई
जा सके”।
लगातार
चौथी बार इंडिया आर्ट फेयर में शामिल हुई फ्रांस की ही एक और गैलरी की निदेशक ने
कहा कि आयोजकों को इस बात पर गौर करना चाहिए कि आयोजन अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा
उतरे और कैसे भारतीय बाजार को विदेशी गैलरियों के लिए भी खोला जाए। इस बात पर भी
उन्हें विचार करना चाहिए कि यूरोपीय कलाकृतियों में रूचि दिखाने के बावजूद भारतीय
कलेक्टर्स उन्हें क्यों नहीं खरीदते।
इंडिया
आर्ट फेयर में इस बार लॉजिस्टिक सपोर्ट की कमी और तकनीकी समस्याओं की भी शिकायतें
सुनने को मिलीं। कई गैलरियों ने इस बाबत शिकायत की, कि वाई-फाई की सुविधा पूरे आर्ट
फेयर में एक समान नहीं थी जिसकी वजह से उन्हें बिजनेस में भारी नुकसान उठाना पड़ा।
न्यूयॉर्क की गैलरी आईकॉन के निदेशक एंड्रयू साहा के मुताबिक आर्ट फेयर के दौरान
कई भारतीय कलेक्टर्स ने उनसे ई-मेल के जरिए कलाकृतियों की तस्वीरों की मांग की,
लेकिन वाई-फाई ठीक नहीं होने की वजह से वो ऐसा नहीं कर सके।
बिजनेस
कम होने की वजह से कई गैलरी इस बार यह शिकायत भी करते दिखे कि लगातार सात साल तक
आर्ट फेयर के आयोजन के बावजूद कलाकृतियों की शिपिंग की समस्या बनी हुआ है और कलाकृतियों
की शिपिंग को लेकर अभी तक कोई अनुभवी कंपनी भारत में सामने नहीं आयी है। ऐसे में
कस्टम ड्यूटी के नाम पर उन्हें 15 टैक्स देना पड़ता है और उसका भार उन्हें उठाना
होगा, चाहे वो बिजनेस करें या नहीं करें।
पाकिस्तान
से आर्ट फेयर में शामिल होने पहुंची गैलरी ने भी इसकी शिकायत की। हालांकि कई
विदेशी गैलरियों ने ठीक-ठाक बिजनेस भी किया। स्पेन की गैलरी विल द आर्ट के
मुताबिक, इंडिया आर्ट फेयर के आयोजन में कुछ खामियां रही हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद
है कि आयोजक जल्दी ही उन खामियों को दूर कर लेंगे।
I want to participet in this fair
ReplyDeleteYou can contact at indiartfair.in
ReplyDeleteThank you.